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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ॐ ऐं बीजं, ॐ ह्रीं शक्तिः, ॐ क्लीं कीलकम्,

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

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ओं अस्य श्री कुञ्जिका स्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ओं ऐं बीजं, ओं ह्रीं शक्तिः, ओं क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

It more info is best to make sure you don’t recite it with any ill feelings or with any unfavorable intentions. 

येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।

On chanting usually, Swamiji states, “The greater we recite, the greater we listen, and the greater we attune ourselves for the vibration of what's currently being stated, then the greater We'll inculcate that attitude. Our intention amplifies the Frame of mind.”

समय का अभाव है तो नवरात्रि के नौ दिनों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर देवी की उपासना की जा सकती है. इससे पूजा और व्रत का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा.

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